बेच डालो - OLX ....
क्या बेच पाओगे मेरा कीमती सामान?
जिसकी कोई कीमत – कोई ख़रीददार
ढूंड पाने की सारी तिगडम
ले चुकी हैं कई किताबों का रूप
और भर चुके है सारे
वाचनालय – पुस्तकालय – मुद्रणालय !
परन्तु नहीं मिला - एक वो अकेला शख्स
जो खरीद सके..... मेरा सामान
OLX !
क्या तुम लगाओगे मेरे सामान पर
" For Sale " का राजसी Label ....
क्या दिला पाओगे उसे कीमत का मूल्य ?
मांग और पूर्ति की धारा के बीच
अपना अस्तित्व ढूंडती ‘ईमानदारी ‘
जिसकी कोई कीमत – कोई ख़रीददार
ढूंड पाने की सारी तिगडम
ले चुकी हैं कई किताबों का रूप
और भर चुके है सारे
वाचनालय – पुस्तकालय – मुद्रणालय !
परन्तु नहीं मिला - एक वो अकेला शख्स
जो खरीद सके..... मेरा सामान
OLX !
क्या तुम लगाओगे मेरे सामान पर
" For Sale " का राजसी Label ....
क्या दिला पाओगे उसे कीमत का मूल्य ?
मांग और पूर्ति की धारा के बीच
अपना अस्तित्व ढूंडती ‘ईमानदारी ‘
जोहती है बाट नए ‘मास्लो’
की
जो शामिल कर सके
उसे आवश्यकताओं की नयी list में !
परन्तु हर बार
नया नियम खा जाता है
पुराने नियम की चटनी
मांग की रोटी के बीच ....!
OLX ! काश तुम बेच सकते
मेरा सामान
चंद कागजी नोटों के बदले
जिसपे चस्पा गांधी
बन गए तुष्टिकरण की नयी परिभाषा ...
राजनैतिक गलियारों के Red Carpet पे
कागज़ी मुस्कान ओढ़कर !
ओ OLX !
क्या बेच पाओगे मेरा कीमती सामान?
बताओ
ना ....!जो शामिल कर सके
उसे आवश्यकताओं की नयी list में !
परन्तु हर बार
नया नियम खा जाता है
पुराने नियम की चटनी
मांग की रोटी के बीच ....!
OLX ! काश तुम बेच सकते
मेरा सामान
चंद कागजी नोटों के बदले
जिसपे चस्पा गांधी
बन गए तुष्टिकरण की नयी परिभाषा ...
राजनैतिक गलियारों के Red Carpet पे
कागज़ी मुस्कान ओढ़कर !
ओ OLX !
क्या बेच पाओगे मेरा कीमती सामान?