शहर के इस और जहाँ
आलीशान फ्लैट जगमगाते हैं
चाइनीस बल्बों की
छन-छनाती रौशनी मैं
वही
शहर के उस ओर
उस गन्दी बस्ती मैं
जहाँ आवारा कुत्तों के झुण्ड
मुह मारतें है
खुले कुड़ेदानो मैं
वही
उसी अँधेरी बस्ती मैं
नन्ही सी
मैली कुचैली
भूखी 'लछमी'
पूछती है माँ से
"माँ ! हमारी दिवाली कब होगी! "
आलीशान फ्लैट जगमगाते हैं
चाइनीस बल्बों की
छन-छनाती रौशनी मैं
वही
शहर के उस ओर
उस गन्दी बस्ती मैं
जहाँ आवारा कुत्तों के झुण्ड
मुह मारतें है
खुले कुड़ेदानो मैं
वही
उसी अँधेरी बस्ती मैं
नन्ही सी
मैली कुचैली
भूखी 'लछमी'
पूछती है माँ से
"माँ ! हमारी दिवाली कब होगी! "