तपती दुपहरी
सड़क पर
धूल भरी
मैली-कुचैली
थैली में
कुछ संतरे लिए
यही कोई १०-१२ साल की
वह लड़की
जिसकी आँखों में
दिखाई दी चमक
चमचमाती मोटर देख
और दौड़ती हुई , ऊँची आवाज में
देती है आवाज
संतरे ले लो, संतरे ले लो ...
और हिलती है हाथ
मोटर रोकने को - उल्लास से ।
पर हतभाग्य
ड्राइवर निर्विकार भाव से
एक्सीलेटर पर पंजे का दवाव
बढ़ता चला जाता है ...... बढ़ता चला जाता है ......
मगर फिर भी
वह लड़की
मोटर के पीछे भागती है दूर तलक
इसी चाह में। ..की गाड़ी अब रुकी ..... तब रुकी .....।
मगर मोटर ..
उसे न रुकना था.....
न रुकी.....
और वह लड़की
थम गयी
आँखों मैं अनेक भाव लिए
निराशाओं के
जहाँ -तहां
जो झांकते हैं इधर -उधर
इन सवालों के रूप में
की क्या आज भी -उसे लौटना पड़ेगा
खाली हाथ
और लेटना होगा - भूखे पेट
उस अँधेरे दड़बे में ?
सड़क पर
धूल भरी
मैली-कुचैली
थैली में
कुछ संतरे लिए
यही कोई १०-१२ साल की
वह लड़की
जिसकी आँखों में
दिखाई दी चमक
चमचमाती मोटर देख
और दौड़ती हुई , ऊँची आवाज में
देती है आवाज
संतरे ले लो, संतरे ले लो ...
और हिलती है हाथ
मोटर रोकने को - उल्लास से ।
पर हतभाग्य
ड्राइवर निर्विकार भाव से
एक्सीलेटर पर पंजे का दवाव
बढ़ता चला जाता है ...... बढ़ता चला जाता है ......
मगर फिर भी
वह लड़की
मोटर के पीछे भागती है दूर तलक
इसी चाह में। ..की गाड़ी अब रुकी ..... तब रुकी .....।
मगर मोटर ..
उसे न रुकना था.....
न रुकी.....
और वह लड़की
थम गयी
आँखों मैं अनेक भाव लिए
निराशाओं के
जहाँ -तहां
जो झांकते हैं इधर -उधर
इन सवालों के रूप में
की क्या आज भी -उसे लौटना पड़ेगा
खाली हाथ
और लेटना होगा - भूखे पेट
उस अँधेरे दड़बे में ?