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बुधवार, 10 जून 2020

इब्न-ए-बतूता

मस्त मुसाफिर इब्न-ए-बतूता,

सफ़र-ए-शहंशाह  की गाथा |

आज सुनाते हैं हम सबको ,

सुनो-सुनो  भगिनी – भ्राता ||

सदी तेरहवी अरब देश से ,

चला मुसाफिर एक अंजान |

घूम-घूम कर  जिसने  पाई,

देश-विदेशों  में  पहचान |

मक्का की  गलियों से निकला ,

इब्न-ए-बतूता जिसका नाम ||

पार  किये  कई  उदधि – मरुस्थल ,

घुमा  जिसने  सकल जहान |

अरब-इराक़-काहिरा घूमा ,

चीन और  भारत – ईरान |

अँधेरी गलियों को छाना ,

जिससे थी  दुनिया अनजान |

महा घुमक्कड़ की गाथा का ,

आज यहाँ मिल करें बखान |

नगरी-नगरी  फिरने  वाला ,

ये आजाद –अजब इंसान |

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