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बुधवार, 3 नवंबर 2010

"माँ ! हमारी दिवाली कब होगी! "

शहर के इस और जहाँ
आलीशान फ्लैट जगमगाते हैं
चाइनीस बल्बों की
छन-छनाती रौशनी मैं
वही
शहर के उस ओर
उस गन्दी बस्ती मैं
जहाँ आवारा कुत्तों के झुण्ड
मुह मारतें है
खुले कुड़ेदानो मैं
वही
उसी अँधेरी बस्ती मैं
नन्ही सी
मैली कुचैली
भूखी 'लछमी'
पूछती है माँ से
"माँ ! हमारी दिवाली कब होगी! "

2 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

भूखी 'लछमी'
पूछती है माँ से
"माँ ! हमारी दिवाली कब होगी! "
kitna kuch kah diya .....
shubhkamnayen

रश्मि प्रभा... ने कहा…

kagaz ke tukdon per ... rachna vatvriksh ke liye bhejiye rasprabha@gmail.com per