कर्मयोगी ‘अब्दुल कलाम’
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देकर अग्नि को नए पंख,
और देश को नव आयाम |
चला गया भारत-सपूत ,
कर्मयोगी ‘अब्दुल कलाम’ ||
देकर हर मन को नयी सोच,
दे नवल सृजन का विजय घोष |
तम से लड़ने की नवल शक्ति ,
भर गया सभी में नवल जोश |
तुम सृजनहार नव भारत के,
तुमसे भारत का स्वाभिमान |
ओ कलाम ! भारत – गौरव ,
तुम्हें याद करेगा हिन्दुस्तान ||
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